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नई दिल्ली – 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा से जुड़ी जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ा एक्शन शुरू कर दिया है। अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए गए राणा से अब पूछताछ तेज हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी उसकी आवाज़ (वॉयस सैंपल) और हस्तलिखित सैंपल (हैंडराइटिंग) लेने की तैयारी में है, ताकि यह पुख्ता किया जा सके कि आतंकी हमले के दौरान फोन कॉल पर बात करने वाला शख्स वही था।

तहव्वुर राणा की जांच में क्यों जरूरी है वॉयस सैंपल?

एनआईए के अधिकारियों का मानना है कि तहव्वुर राणा की आवाज के नमूने से यह स्पष्ट किया जा सकता है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के साथ मिलकर 2008 के मुंबई हमले की साजिश में कितनी गहराई तक भूमिका निभाई थी। राणा यदि वॉयस सैंपल देने से मना करता है, तो NIA कोर्ट से विशेष अनुमति मांग सकती है।

वॉयस सैंपल पर आरोपी की सहमति जरूरी?

भारतीय कानून के अनुसार, आरोपी की सहमति जरूरी होती है। लेकिन अगर कोई आरोपी सहयोग नहीं करता, तो जांच एजेंसी अदालत में यह साबित कर सकती है कि वॉयस सैंपल जांच के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस तरह का इनकार भी चार्जशीट में आरोपी के खिलाफ मजबूत सबूत बन सकता है

CFSL एक्सपर्ट्स की मदद से होगी सैंपलिंग

एनआईए राणा का वॉयस सैंपल अपने मुख्यालय में लेने की योजना बना रही है, जिसमें गृह मंत्रालय के तहत सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) के एक्सपर्ट्स की सहायता ली जाएगी। अगर जरूरत पड़ी, तो राणा का वैज्ञानिक परीक्षण (Scientific Tests) भी किया जा सकता है।

तहव्वुर राणा की टालमटोल जवाबदेही

प्रारंभिक पूछताछ के दौरान राणा ने जांच अधिकारियों को संतोषजनक जानकारी नहीं दी। तीन घंटे तक चली पूछताछ में वह बार-बार “याद नहीं” और “पता नहीं” जैसे जवाब देकर सवालों से बचता रहा। सूत्रों का कहना है कि वह जांच को भ्रमित करने और समय खींचने की कोशिश कर रहा है।

18 दिन की हिरासत में NIA करेगी गहन पूछताछ

राणा को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से हिरासत में लेने के बाद, एनआईए की विशेष अदालत (पटियाला हाउस कोर्ट) में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की रिमांड में भेजा गया है। एजेंसी को उम्मीद है कि इस दौरान राणा से कई महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं जो हमले के पीछे के पूरा साजिशी नेटवर्क को उजागर करेंगे।

26/11 हमला: अब तक की सबसे बड़ी आतंकी साजिश

2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी, और 238 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था, जिसमें तहव्वुर राणा की संलिप्तता लंबे समय से संदेह के घेरे में थी।

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