
महाकुंभ मेला हर साल हजारों साधु-संतों का आवास स्थल बनता है, जहां नागा साधु विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन साधुओं की वेशभूषा और जीवनशैली में एक रहस्यमय आभा होती है, जो हर किसी को चमत्कृत करती है। इसी बीच, नागा साधुओं के पंचायती अटल अखाड़े से एक तस्वीर सामने आई है, जो लोगों का ध्यान खींच रही है। इस तस्वीर में एक छोटा बच्चा, जो दस साल से भी कम उम्र का है, नागा साधुओं के परिधान में दिखाई दे रहा है।
इस बच्चे को देखकर लोग हैरान हैं और सोच रहे हैं कि इतनी कम उम्र में यह बच्चा कठोर तपस्या करने वाले नागा साधुओं के बीच क्यों है। इस बच्चे के चेहरे पर कोई चिंता या थकावट का संकेत नहीं दिखता, बल्कि वह बेहद प्रसन्न और संतुष्ट दिखता है। इस स्थिति ने यह सवाल उठाया है कि क्या इतने छोटे बच्चे भी नागा साधु बन सकते हैं?
क्या बच्चे भी नागा साधु बन सकते हैं?
नागा साधुओं के अखाड़े में बच्चों को भी देखा जाता है। इसका मतलब यह है कि बच्चों को भी नागा साधु दीक्षा देते हैं। नागा साधु बनने के लिए कोई उम्र की सीमा नहीं होती है। हिंदू धर्म के ये रहस्यमय साधु अपने अखाड़ों में छोटे बच्चों को भी शामिल करते हैं। कुछ माता-पिता अपने छोटे बच्चों को, जो केवल कुछ महीनों के होते हैं, नागा साधुओं को सौंप देते हैं, और उसके बाद नागा साधु ही उन बच्चों की देखरेख करते हैं।
इन बच्चों को शिक्षा और पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी नागा साधु पर होती है, और इनका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि ये बच्चे बड़े होने पर नागा साधु बनें। यदि बच्चा 10 साल से कम उम्र में नागा साधु बनने के लिए आता है, तो उसे शुरू में अखाड़े में शिक्षा दी जाती है।
दीक्षा प्रक्रिया
जब बच्चा पांच साल से ऊपर का होता है, तो उसे गुरु द्वारा दीक्षा दी जाती है। दीक्षा लेने के बाद, बच्चे को गुरु की सेवा करनी होती है और उनके निर्देशों का पालन करना होता है। इसके साथ ही, भक्ति और साधना के अन्य कार्यों में भी बच्चा भाग लेता है। 10 से 12 साल की उम्र के बाद, बच्चा असली तपस्या की शुरुआत करता है, जिसमें गुरु उसे दिगंबर रहने का निर्देश देते हैं। इस उम्र तक बच्चा कई तरह की साधना और तपस्या में सक्षम हो जाता है।
16 से 17 साल की उम्र में, यह बाल साधु हिमालय में 12 साल तक की कठिन तपस्या करने जाता है। तपस्या के बाद, गुरु की कृपा से उसे ‘सिद्ध दिगंबर’ की उपाधि प्राप्त होती है, जो नागा साधु के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
बाल नागा साधु के चमत्कारी गुण
बाल नागा साधुओं के बारे में माना जाता है कि उन्हें साधना के परिणाम जल्दी प्राप्त होते हैं। इसका कारण यह है कि छोटे बच्चे संसारिक मोह-माया से मुक्त होते हैं, और यही कारण है कि वे जल्दी दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं और उनके तप का फल शीघ्र मिलता है। छोटे बच्चों के शरीर में लचीलापन होता है, जिससे वे योग आसनों में तेजी से पारंगत हो जाते हैं। उनके ध्यान की गहराई भी जल्दी विकसित हो जाती है। इसके अलावा, कई बाल नागा साधुओं के पास चमत्कारी शक्तियों का भी आभास होता है।
इस प्रकार, नागा साधु बनने की प्रक्रिया केवल उम्र की सीमा नहीं देखती, बल्कि यह समर्पण, तपस्या और गुरु की कृपा पर आधारित होती है। छोटे बच्चों को भी इस कठिन और विशिष्ट जीवन का हिस्सा बनने का मौका मिलता है, और समय के साथ वे इस रहस्यमय साधना पद्धति में दक्ष हो जाते हैं।
( Disclaimer : यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। नवराष्ट्र भारत एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)