Navrashtra Bharat (71)

उत्तराखंड में भारत का पहला यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी ने काम शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कानून को एक महीने के भीतर लागू करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने नए साल 2025 की शुरुआत में इस लक्ष्य की घोषणा की थी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा था, “हम 2025 को उत्तराखंड के राज्यत्व की रजत जयंती के रूप में मना रहे हैं। यह वर्ष बड़ी उपलब्धियों का वर्ष होगा। हमने UCC लाने का वादा किया था, और हम इसे जनवरी में लागू करेंगे।” हालांकि, अभी तक कोई निश्चित तारीख नहीं दी गई है, लेकिन यह अनुमान जताया जा रहा है कि इसे गणतंत्र दिवस पर लागू किया जा सकता है।

इससे पहले अक्टूबर 2024 में एक विशेषज्ञ समिति, जिसका नेतृत्व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने किया, ने UCC को लागू करने के लिए नियम तैयार किए थे। इन नियमों को अंतिम रूप देने के बाद राज्य सरकार ने गृह विभाग को इसे लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

UCC को लागू करने की तैयारी:

राज्य के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को UCC के प्रावधानों के बारे में समझाने और इसे लागू करने के तरीके को लेकर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। डिस्ट्रीक्ट, ब्लॉक और तहसील स्तर पर कर्मचारियों को इस कानून को लागू करने के तरीके पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के लिए एक पोर्टल और एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से लोग अपने विवाह या लिव-इन रिश्तों को घर बैठे रजिस्टर कर सकेंगे।

UCC के प्रमुख प्रावधान:

यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और वसीयत जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए समान नियम लागू होंगे, बशर्ते वे अनुसूचित जनजाति से न हों। इस कानून के तहत सभी विवाहों और लिव-इन रिश्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया सरल और यूज़र-फ्रेंडली बनाई जा रही है, ताकि लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़े।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि UCC लाने का यह कदम पार्टी के राष्ट्रीय एजेंडे का हिस्सा है और उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है जिसने इस कानून को लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। बीजेपी शासित अन्य राज्यों, जैसे असम, ने भी उत्तराखंड के UCC को मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जताई है।

UCC का उद्देश्य और समाज पर प्रभाव:

UCC का उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और वसीयत जैसे मामलों में समानता लाना है। यह महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह सभी धर्मों में समान विवाह योग्य आयु, तलाक के समान आधार, और बहुविवाह और हलाला पर प्रतिबंध लगाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि UCC से समाज में व्याप्त कई सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “अगर एक पत्नी दो पतियों के साथ एक ही समय में नहीं रह सकती, तो एक पति एक से अधिक पत्नियाँ क्यों रख सकता है?”

Please follow and like us:
RSS
Follow by Email
X (Twitter)
Visit Us
Follow Me
YouTube
LinkedIn
Share
Instagram

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *