
यूपी के गाजियाबाद के हिंदी भवन में मृत्युंजय साधक कृत ग़ज़ल संग्रह ‘है दिल की बात’ का रविवार को लोकार्पण किया गया साथ ही दिव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन भी किया गया,
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री बालेश्वर त्यागी ने की, मुख्य अतिथि रहे भारत एक्सप्रेस के सीएमडी श्री उपेन्द्र राय, अति विशिष्ट अतिथि रहे वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्थापक गौर ग्रुप एवं साहित्य भूषण डॉ बी. एल. गौड़ और विशिष्ट अतिथि रहीं महाकवयित्री डॉ मधु चतुर्वेदी. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवयित्री डॉ अंजु सुमन साधक ने बेहद सधे अंदाज में किया… शब्द शब्द मानो चूल्हे पर रखी बटलोई में से निकल रहे हों…. जो सजे थे सँवरे थे, निखरे थे…. दर्शक हृदयंगम कर रहे थे.

इस मौके पर भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा ‘मैं मानता हूं, अगर कवि अगर इस दुनिया में न होते तो दुनिया बिल्कुल रसविहीन होती. उन्होंने कहा कि कवि भावनाओं की दुनिया का शासक होता है. वह इस पर शासन करता है. इस हिंसावादी दौर में कवि दूसरों के मन और दिल में उतरकर ये बताता है कि प्रेम में जीतने की जगह हार जाना भी बड़ा अच्छा होता है. मैंने ये देखा है कि जितने अच्छे कवि हुए, उनके अंदर बड़ी कमाल की विनम्रता रही. क्योंकि उनका मन न जीतने में रस लेता है, न हारने में रस लेता है. उनका मन सिर्फ इस बात में रस लेता है कि ऐसा क्या करें कि आम आदमी थोड़ा सा खुश हो और उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाए.

भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, “हम लोग जिस तरह सोचते हैं कवि वैसा नहीं सोचता. कवि को लोगों की बात बुरी लगती है, लेकिन वह उसका जवाब बुराई से नहीं देता है. वह कहता है कि जीवन छोटा है. हम यहां सदा के लिए नहीं आए हैं, तो दुश्मनी की जगह क्यों न मैत्री स्थापित की जाए. इसलिए वह कठोर भाषा का जवाब भी मखमल जैसी भाषा से देता है. वह सोचता है कि क्यों न दिल में रोश पैदा करने की जगह प्रेम पैदा किया जाए…..उन्होंने कहा कि हमारा असली चेहरा वही होता है, जो जन्म से पहले का होता है. जब तक हम इस दुनिया में जीते हैं, वह इस दुनिया द्वारा बनाया हुआ नकली चेहरा होता है. कवि इस असली और नकली के बीच की जिंदगी जीता है. कवि इन विचारों को जीते हुए औरों के लिए रास्ता दिखाता है.
सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि कवि मृत्युंजय साधक की किताब की कुछ लाइनें उन्हें बहुत अच्छी लगी. उनका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हर हृदय में इक कसकतु पीर हूं, जोड़ दे जो सबको वही जंजीर हूं” मुझे लगता है कि हमारा असली ज्ञान वही है, जो हमारे अनुभव से गुजर गया, बाकी सारी बातें और किताबी ज्ञान दूसरों का उधार है. कवि का ज्ञान वह अपनी कलम से निकलता है, जो उसका अपना अनुभव होता है. कवि मर्म की उस गहराई को जीता है.

मृत्युंजय साधक की कविताएं दिल को छूने वाली: सीएमडी उपेन्द्र राय भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, “मृत्युंजय साधक की सारी कविताएं दिल को छूने वाली हैं…
इस दौरान अति विशिष्ट अतिथि साहित्य भूषण डॉ बी. एल. गौड़ ने कहा, “दुनिया में आप अगर कुछ लेना चाहते हैं, तो माता-पिता का आशीर्वाद लें. आज मैं आपके सामने खड़ा हूं, जो कुछ भी हूं माता-पिता के आशीर्वाद से ही हूं. उनके आशीर्वाद ने मुझे शून्य से शिखर तक पहुंचा दिया. उन्होंने कहा कि मां तो मां होती है, बस इस धरती के सब देवों से थोड़ा ऊपर होती है.” उन्होंने कहा कि मृत्युंजय की रचना बहुत अच्छी लगी…कार्यक्रम के अध्यक्ष बालेश्वर त्यागी ने पुस्तक को सराहा वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ मधु चतुर्वेदी ने किताब में वर्णित विषयों का शानदार विश्लेषण किया जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए.
‘है दिल की बात’ के दिव्य आयोजक मंडल की अपार कृपा से इस दिव्य साहित्यिक अनुष्ठान में विविध क्षेत्रों में कार्यरत 251 शख्सियत को सम्मानित किया गया… वहीं 5 प्रतिभावान छात्रों तनिषा, अनुज, समीर, शालिनी और जुबैर को कवि और टीवी पत्रकार मृत्युंजय साधक की माता जी की स्मृति में स्वर्गीय मालती देवी सम्मान दिया गया…..जिसमें धनराशि, अंगवस्त्रम्, स्नेहमाल शामिल था.
