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किन्नरों का इतिहास और किन्नर अखाड़े का महाकुंभ में योगदान

मानव सभ्यता का इतिहास जितना प्राचीन है, किन्नरों का वजूद भी उतना ही पुराना है। हर युग, हर धर्म, और हर देश में किन्नरों ने समाज का हिस्सा बनकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस बार प्रयागराज महाकुंभ में भी किन्नर अखाड़े ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। किन्नर अखाड़े ने आज जूना अखाड़े के साथ अमृत स्नान (शाही स्नान) किया। किन्नर अखाड़ा अपनी यात्रा और शाही स्नान को अमृत स्नान के नाम से संबोधित करता है।

अखाड़े की भव्यता को बनाए रखने के लिए इस बार भी सभी धार्मिक कार्यों और व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी महामंडलेश्वरों, मंडलेश्वरों, श्रीमहंतों, और अन्य अधिकारियों को सौंपी गई है। मेला शिविर में पूजा-पाठ, यज्ञ, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे।

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पौराणिक ग्रंथों में किन्नरों का स्थान

भारतीय पौराणिक ग्रंथों में किन्नरों को यक्षों और गंधर्वों के समान दर्जा दिया गया है। महाभारत के प्रसिद्ध पात्र शिखंडी ने युद्ध की दिशा बदल दी थी, जिससे पांडवों को विजय मिली। इसके अलावा, किन्नरों को भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप का प्रतीक भी माना जाता है। यह मान्यता बताती है कि किन्नर सिर्फ समाज का हिस्सा नहीं, बल्कि धर्म और पौराणिक इतिहास का अहम हिस्सा रहे हैं।


किन्नर अखाड़ा: स्थापना और विस्तार

किन्नर अखाड़े की स्थापना 13 अक्टूबर 2015 को हुई थी। इसके महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हैं, जिन्हें उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में महामंडलेश्वर का दर्जा दिया गया। प्रयागराज के बद्रिकाश्रम मठ में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने 60 किन्नरों को वैदिक संस्कारों के साथ दीक्षा दी। दीक्षा लेने के बाद किन्नरों ने संन्यास का व्रत लेकर उन सभी संस्कारों को पूरा किया, जो एक संन्यासी के लिए अनिवार्य हैं।

सितंबर 2018 में, अखाड़े के विस्तार के तहत देश के विभिन्न राज्यों जैसे तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, और मध्य प्रदेश में अलग-अलग महामंडलेश्वर नियुक्त किए गए।

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मान्यता को लेकर विवाद

किन्नर अखाड़ा अपनी स्थापना के बाद से ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से 14वें अखाड़े के रूप में मान्यता की मांग कर रहा है। हालांकि, परिषद ने इसे अलग अखाड़ा मानने से इंकार कर दिया है। 2016 में उज्जैन कुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े का बहिष्कार किया गया और उन्हें अन्य अखाड़ों से मान्यता नहीं मिली।


किन्नर अखाड़े की विशेषताएं

किन्नर अखाड़ा अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यों के साथ साथ किन्नर समाज की आवाज़ को मजबूती से उठाने का काम कर रहा है। उनका लक्ष्य समाज में किन्नरों की गरिमा और अधिकारों को पहचान दिलाना है।

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