
ओटावा: कनाडा की लिबरल पार्टी ने भारी बहुमत से मार्क कार्नी को देश का नया प्रधानमंत्री चुना। पूर्व केंद्रीय बैंकर कार्नी ने प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका “कनाडा के श्रमिकों, परिवारों और व्यवसायों पर हमला कर रहा है” और इसे सफल नहीं होने दिया जा सकता।
59 वर्षीय कार्नी, जो जल्द ही निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे, ने अपने संबोधन में अमेरिका को कनाडा के लिए एक बड़ा खतरा बताया।
अल्पकालिक हो सकता है कार्नी का कार्यकाल
हालांकि, कार्नी का प्रधानमंत्री पद ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता क्योंकि कनाडा में अक्टूबर 2025 तक आम चुनाव होने जरूरी हैं। इसके अलावा, जल्द चुनाव कराए जाने की भी संभावना है। मौजूदा चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार, विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी को मामूली बढ़त हासिल है, जिससे लिबरल सरकार को जल्द ही एक कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका पर कड़ा प्रहार
ओटावा में पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए, कार्नी ने अमेरिका पर कनाडा के संसाधनों और संप्रभुता पर कब्जा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
“अमेरिका हमारे संसाधन, हमारा पानी, हमारी जमीन और हमारा देश चाहता है। ये अंधकारमय दिन हैं, ऐसे दिन जो एक ऐसे देश की वजह से आए हैं जिस पर अब हम भरोसा नहीं कर सकते।”
कार्नी ने चुनाव प्रचार के दौरान स्पष्ट रूप से डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने ट्रंप प्रशासन पर कनाडा की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए और दावा किया कि वे देश के लिए सबसे बड़े संकट का कारण बन रहे हैं।
कनाडा के लिबरल नेता के रूप में भारी जीत
मार्क कार्नी, जिन्होंने पहले बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड का नेतृत्व किया था, ने लिबरल पार्टी की नेतृत्व दौड़ में क्रिस्टीया फ्रीलैंड को भारी अंतर से हराया। फ्रीलैंड, जो पूर्व उप-प्रधानमंत्री और कई वरिष्ठ पदों पर रह चुकी हैं, केवल 8% वोट हासिल कर पाईं, जबकि कार्नी को 85.9% वोट मिले।
ट्रंप से निपटने के लिए मजबूत नेतृत्व की जरूरत
कार्नी ने खुद को आर्थिक संकट प्रबंधन में एक अनुभवी नेता के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने 2008-09 की वैश्विक वित्तीय मंदी के दौरान बैंक ऑफ कनाडा का नेतृत्व किया और ब्रेक्जिट संकट के दौरान बैंक ऑफ इंग्लैंड को संभाला।
ट्रंप ने कई बार कनाडा को अमेरिका में मिलाने की बात कही है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। ट्रंप प्रशासन ने व्यापार पर कई बार नीतियां बदली हैं, जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले अपने विदाई संबोधन में कहा,
“कनाडा को अपने पड़ोसी से एक अस्तित्वगत संकट का सामना करना पड़ रहा है।”
लिबरल पार्टी को फिर से मजबूती मिली
कार्नी की जीत के बाद ओटावा में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। लिबरल पार्टी के समर्थक कोरी स्टीवेन्सन ने कहा,
“हमने उस व्यक्ति को चुना है जो (कंजरवेटिव नेता) पियरे पोइलिव्रे का सामना कर सकता है और डोनाल्ड ट्रंप से निपटने की क्षमता रखता है।”
हाल ही में जारी हुए एंगस रीड पोल के अनुसार, कनाडाई नागरिकों की नजर में ट्रंप से निपटने के लिए कार्नी सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं। सर्वेक्षण में 43% लोगों ने कहा कि वे अमेरिका से निपटने के लिए कार्नी पर भरोसा करते हैं, जबकि 34% लोगों ने पोइलिव्रे को बेहतर विकल्प माना।
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद बदले चुनावी समीकरण
जनवरी में जब ट्रूडो ने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, तब लिबरल पार्टी का समर्थन गिर रहा था और ऐसा लग रहा था कि वह आगामी चुनाव में बुरी तरह हार जाएगी। लेकिन अब नेतृत्व परिवर्तन और ट्रंप के प्रभाव के कारण चुनावी दौड़ कड़ी हो गई है।
पूर्व सांसद फ्रैंक बेयलिस, जो खुद भी लिबरल नेतृत्व की दौड़ में थे, ने कहा,
“चार महीने पहले हमें पूरी तरह खत्म मान लिया गया था, लेकिन अब हम वहीं हैं, जहां हमें होना चाहिए।”
आगामी चुनाव पर सबकी नजर
अब सबकी नजरें आगामी चुनाव पर हैं, जहां कार्नी को विपक्षी कंजरवेटिव नेता पियरे पोइलिव्रे का सामना करना होगा। यदि चुनाव जल्दी होते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कार्नी और लिबरल पार्टी ट्रंप और उनकी नीतियों के खिलाफ अपने रुख से कितना फायदा उठा सकते हैं।
कनाडा की राजनीति अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है, और आने वाले महीनों में यह साफ हो जाएगा कि क्या मार्क कार्नी अपनी नई भूमिका को बरकरार रख पाएंगे या नहीं।