
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में साल 2025 में होने वाले भव्य महाकुंभ की तैयारियां ज़ोर-शोर से जारी हैं। संगम नगरी पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार हो रही है। इस बार महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं। साथ ही, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी खुलासा किया है कि इस आयोजन से उत्तर प्रदेश को कितनी आर्थिक वृद्धि प्राप्त होने की उम्मीद है।
महाकुंभ से उत्तर प्रदेश को कितनी आय होगी?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सम्मेलन के दौरान बताया कि महाकुंभ 2025 में अनुमानित 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन से राज्य को दो लाख करोड़ रुपये तक की आर्थिक वृद्धि होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने इसे भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को हमारी प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करने का अवसर प्रदान करेगा।
महाकुंभ 2025: भव्य, दिव्य और डिजिटल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों को लेकर गर्व महसूस कर रहा है। इस बार का महाकुंभ पूरी तरह से भव्य, दिव्य और डिजिटल रूप में आयोजित किया जाएगा। इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
महाकुंभ के दौरान स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है। आयोजन स्थल पर 1.5 लाख से अधिक स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल शौचालयों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, गंगा और यमुना नदियों में किसी भी प्रकार का गंदा पानी जाने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
काशी और अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में आने वाले श्रद्धालु परिवहन, आवास, भोजन और अन्य सेवाओं पर खर्च करते हैं, जिससे स्थानीय व्यवसाय और रोजगार को बढ़ावा मिलता है। 2024 में काशी विश्वनाथ मंदिर में 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं, जनवरी 2024 से सितंबर 2024 तक 13 करोड़ 55 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने अयोध्या में भगवान श्रीराम के दर्शन किए।
महाकुंभ नगर का निरीक्षण करेंगे मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज प्रयागराज स्थित महाकुंभ नगर का दौरा करेंगे। वे इस दौरान संत समाज से भेंट करेंगे और तैयारियों का जायजा लेंगे। इसके साथ ही, गुरुवार को जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी महाकुंभ में प्रवेश करेंगे। उनकी पेशवाई सुबह 10 बजे मनकामेश्वर मंदिर से शुरू होगी।
महाकुंभ: आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करता है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से होटल, ट्रांसपोर्ट, खाद्य और अन्य स्थानीय उद्योगों को लाभ मिलता है। यह आयोजन उत्तर प्रदेश को वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन के लिए प्रमुख केंद्र बनाने में भी मदद करेगा।
महाकुंभ 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार की इन व्यापक तैयारियों के जरिए श्रद्धालुओं को एक भव्य, सुरक्षित और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।