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सड़क किनारे 4 कॉलम डालकर 4 मंजिला अवैध निर्माण: जिम्मेदार कौन?

गाजियाबाद के वसुंधरा में आवास विकास की जमीन पर जारी अवैध निर्माण

एक ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर सख्ती बरतने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर गाजियाबाद में आवास विकास के अधिकारी उनकी छवि पर बट्टा लगाने में जुटे हैं। वसुंधरा सेक्टर-17C में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। पांच महीने के भीतर यह पांचवीं बार है जब सड़क किनारे चार कॉलम खड़े करके चार मंजिला इमारत की नींव डाली जा रही है।

कैसे हो रहा है अवैध निर्माण?
मिली जानकारी के अनुसार, सड़क किनारे स्थित फ्लैट संख्या 301, 307, 313 और 319 के पास कॉलम खड़े करके सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण हो रहा है। शिकायतें होने पर हर बार निर्माण को रोकने के लिए खानापूर्ति की जाती है, लेकिन कुछ समय बाद वही निर्माण फिर से शुरू हो जाता है। खास बात यह है कि अवैध निर्माण रोकने के लिए कॉलम के सरिये को झुकाकर दिखावा किया जाता है, लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं करता।

कौन दे रहा है इस निर्माण को बढ़ावा?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि आवास विकास के कुछ अधिकारी इस अवैध निर्माण में शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, एक जूनियर इंजीनियर अतिक्रमणकारियों के साथ मिलकर लाखों की डील कर चुका है और उन्हें हर बार अलर्ट करने का काम करता है। इस प्रकरण में वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।

सीएम के आदेश की अनदेखी
आवास विकास विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन आता है, जिन्होंने अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। इसके बावजूद गाजियाबाद के इस पॉश इलाके में खुलेआम अवैध निर्माण होना मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी को दर्शाता है।

क्यों नहीं होती सख्त कार्रवाई?
शिकायतों के बावजूद आवास विकास परिषद द्वारा महज नोटिस जारी कर खानापूर्ति की जाती है। यह सवाल उठता है कि क्या केवल नोटिस देकर विभाग अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकता है? क्या अधिकारियों पर रिश्वत लेकर अतिक्रमण को बढ़ावा देने का आरोप सही है?

क्या होगी बड़ी दुर्घटना?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अवैध निर्माण से पूरी इमारत के ढहने का खतरा बढ़ जाता है। दिल्ली-एनसीआर में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जहां अवैध निर्माण के कारण इमारतें ढहने से जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ। इसके बावजूद इस तरह की गतिविधियां सरकारी संरक्षण में जारी हैं।

आवश्यकता है सख्त मॉनिटरिंग की
आवास विकास परिषद को अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम अपनाने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो यह सरकारी तंत्र की विफलता का स्पष्ट प्रमाण होगा। सवाल यह है कि क्या अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है?

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