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“भाषा नफरत के लिए नहीं होती” – हिंदी सीखने पर चंद्रबाबू नायडू का जोर

अमरावती: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को हिंदी सीखने का समर्थन किया और कहा कि भाषा नफरत के लिए नहीं होती।

नायडू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनके डिप्टी सीएम और जनसेना प्रमुख पवन कल्याण हाल ही में तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच चल रहे भाषा विवाद पर टिप्पणी कर चुके हैं।

“जितनी भाषाएं सीखोगे, उतना फायदा होगा” – नायडू

आंध्र प्रदेश विधानसभा में बोलते हुए चंद्रबाबू नायडू ने कहा,
“भाषा नफरत के लिए नहीं होती। आंध्र प्रदेश में हमारी मातृभाषा तेलुगु है, हिंदी राष्ट्रीय भाषा है और अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा है। हमें रोज़गार और तरक्की के लिए जितनी ज्यादा भाषाएं सीखने का मौका मिले, उतनी सीखनी चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि अगर लोग जापान, जर्मनी जैसे देशों में नौकरी के लिए जाते हैं, तो वहां की भाषाएं सीखना उनके लिए फायदेमंद रहेगा।

“ज्ञान भाषा से नहीं आता”

नायडू ने इस धारणा को गलत बताया कि सिर्फ अंग्रेजी से ज्ञान मिलता है। उन्होंने कहा,
“भाषा केवल संवाद (कम्युनिकेशन) के लिए होती है। दुनिया में वही लोग सबसे आगे बढ़ रहे हैं जो अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर रहे हैं।”

पवन कल्याण ने उठाए तमिलनाडु के रुख पर सवाल

15 मार्च को जन सेना स्थापना दिवस पर पवन कल्याण ने कहा कि तमिलनाडु बार-बार हिंदी को ठुकराता है, लेकिन हिंदी भाषी राज्यों से बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और मजदूरों पर निर्भर रहता है।

उन्होंने सवाल किया,
“अगर तमिलनाडु को हिंदी से इतनी दिक्कत है, तो वे अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करके उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में क्यों रिलीज़ करते हैं? अगर हिंदी से इतनी नफरत है, तो हिंदी भाषी मजदूरों पर निर्भर क्यों हैं?”

“भारत को बांटना इतना आसान नहीं”

कल्याण ने कहा,
“क्या भारत कोई केक का टुकड़ा है, जिसे कोई जब चाहे बांट ले? अगर कोई भारत की एकता को तोड़ने की कोशिश करेगा, तो हम जैसे करोड़ों लोग उसे रोकने के लिए खड़े होंगे।”

उनका यह बयान उस समय आया जब डीएमके नेताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और हिंदी थोपने के आरोपों पर उनकी टिप्पणियों की आलोचना की थी।

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