गुरुग्राम, हरियाणा: आचार्य ईशान शिवानंद जी के दिव्य मार्गदर्शन में 27 से 29 दिसंबर 2024 तक गुरुग्राम में तीन दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम “आर्ट ऑफ सेल्फ रियलाइजेशन” का आयोजन किया गया। इस परिवर्तनकारी शिविर में देश-विदेश से हजारों साधक शामिल हुए, जिन्होंने आत्मिक ज्ञान, ध्यान साधना और आत्ममंथन के माध्यम से अपने भीतर की गहराईयों को समझने का प्रयास किया।
आध्यात्मिक जागृति और समग्र कल्याण के लिए विख्यात आचार्य ईशान शिवानंद जी ने मन, शरीर और आत्मा के सामंजस्यपूर्ण संतुलन के माध्यम से व्यक्ति की वास्तविक क्षमता को पहचानने पर बल दिया। तीन दिनों तक चलने वाले इस शिविर में ज्ञानवर्धक प्रवचन, निर्देशित ध्यान, और पवित्र साधनाएं शामिल थीं, जो साधकों को सांसारिकता से परे उच्च चेतना की अवस्था में ले जाने के लिए डिज़ाइन की गई थीं।
कार्यक्रम का आचार्य ईशान शिवानंद जी ने गुरुग्राम में साधकों को आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर किया प्रेरित
इस शिविर का मुख्य उद्देश्य था साधकों को अपने भीतर की पहचान कराने में सहायता देना और उन्हें दैनिक जीवन की तनावपूर्ण स्थितियों, भावनात्मक अशांति और भौतिक अस्तित्व की बेड़ियों से मुक्त करना। आचार्य ईशान शिवानंद जी ने “आर्ट ऑफ रियलाइजेशन” को केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक अनुभव बताया, जो व्यक्ति को उनकी दिव्य प्रकृति के साथ जोड़ता है और आत्म-साक्षात्कार तक पहुँचने में सहायक होता है।
तीन दिवसीय परिवर्तनकारी यात्रा के मुख्य बिंदु
पहला दिन:
पहले दिन आचार्य जी ने आत्म-जागरूकता और चेतना (चेतना) के महत्व को समझाया। उन्होंने ध्यान और पवित्र मंत्र ‘नम: शिवाय’ की शक्ति पर जोर देते हुए साधकों को अपनी इच्छाओं और उच्च उद्देश्य के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। प्रवचनों में उन्होंने उच्च ऊर्जा (स्पंदन) के माध्यम से इच्छाओं को पहचानने और पुनः संयोजित करने पर प्रकाश डाला।
दूसरा दिन:
दूसरे दिन आचार्य जी ने भावनाओं, पहचान और दिव्य ऊर्जा की आपसी कड़ी को स्पष्ट किया। उन्होंने सनातन धर्म की शिक्षाओं पर चर्चा करते हुए साधकों को भौतिक सुखों और अहंकार से दूर होकर सादगी और दिव्यता को अपनाने की प्रेरणा दी। उनके प्रवचन ऊर्जा (ऊर्जा) की परिवर्तनकारी शक्ति पर केंद्रित थे, जिसमें साधकों को अपनी चिंताओं को दूर कर शिव की उपस्थिति में शांति का अनुभव करने के लिए प्रेरित किया गया।
तीसरा दिन:
अंतिम दिन आचार्य ईशान शिवानंद जी ने मां शक्ति की दिव्यता का आह्वान किया और उन्हें आनंद और चुनौतियों दोनों की शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने भगवान बुद्ध और भगवान राम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से यह समझाया कि कठिनाइयां आध्यात्मिक विकास की सीढ़ियां होती हैं। उन्होंने साधकों को जीवन की नश्वरता को स्वीकार करने और आत्मबल व आत्म-साक्षात्कार पर ध्यान केंद्रित करने का संदेश दिया।
एक दिव्य समापन
29 दिसंबर को शिविर के समापन पर, साधक आचार्य ईशान शिवानंद जी की दिव्य ऊर्जा से अभिभूत हो गए। गुरुग्राम में आयोजित आर्ट ऑफ रियलाइजेशन शिविर ने आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक पूर्णता की ओर साधकों को प्रेरित किया। कई प्रतिभागियों ने इस जीवन-परिवर्तनकारी अनुभव के लिए आभार व्यक्त किया और आचार्य जी के और अधिक शिक्षाओं की लालसा प्रकट की। साधक केवल ज्ञान से समृद्ध होकर नहीं, बल्कि अपने आध्यात्मिक गुरु से अधिक मार्गदर्शन पाने की गहरी इच्छा के साथ वापस लौटे। यह शिविर हर साधक की आत्मा को छूने वाला एक अद्वितीय अनुभव साबित हुआ।