दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वी.के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखकर राजधानी में व्याप्त समस्याओं को लेकर कड़ा प्रहार किया है। अपने पत्र में एलजी ने यमुना प्रदूषण, स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली समेत कई मुद्दों पर सवाल उठाए। विधानसभा चुनावों के नजदीक आने के साथ ही यह पत्र सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानते हैं उपराज्यपाल ने अपने पत्र में क्या कहा।
1. 10 साल बाद खुलीं आपकी आँखे
एलजी ने कहा कि यह राहत की बात है कि एक दशक के बाद आपने दिल्ली की दुर्दशा और नागरिक सुविधाओं की खस्ताहाल स्थिति पर ध्यान दिया। आपने “X” पर जिस “हमारी टीम” का ज़िक्र किया, वह वही अधिकारी और विभाग हैं, जो 21 दिसंबर 2024 को रंगपुरी और कापसहेड़ा के मेरे दौरे में साथ थे। मैंने तभी समस्याओं के समाधान के लिए आग्रह किया था।
2. अन्य क्षेत्रों की स्थिति भी गंभीर
एलजी ने लिखा कि बेहतर होता अगर आप किराड़ी, बुराड़ी, संगम विहार, गोकुलपुरी, मुंडका, नांगलोई और रानीखेड़ा जैसे इलाकों की बदहाल स्थिति पर भी इसी तरह गंभीरता दिखाते।
3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल
उन्होंने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में कई कक्षाएं एक ही कमरे में चलती हैं, जहाँ तथाकथित “घोस्ट टीचर्स” पढ़ा रहे हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में डॉक्टर अनुपस्थित रहते हैं और सरकारी अस्पतालों में न दवाएं हैं, न साफ-सफाई। गरीबों के बिजली और पानी के बिलों की समस्या पर भी सरकार का ध्यान नहीं है।
4. पिछले अनुरोध अनसुने रहे
एलजी ने बताया कि पिछले ढाई सालों में उन्होंने यमुना प्रदूषण, नजफगढ़ नाले की सफाई, सीवर लाइन डीसिल्टिंग, जर्जर सड़कों, पानी की कमी और वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर कई बार चर्चा की। लेकिन इन समस्याओं पर कोई प्रगति नहीं हुई।
5. यमुना प्रदूषण की जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि यमुना का प्रदूषण इस साल अपने चरम पर पहुंच गया, जिसके लिए केजरीवाल को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। एलजी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यमुना सफाई के काम को रुकवाया।
6. ज़मीनी हकीकत से दूरी
एलजी ने कहा कि उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री से खुद शहर में जाकर हालात का जायजा लेने का आग्रह किया। हाल ही में उन्होंने रंगपुरी और कापसहेड़ा जाने का सुझाव दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ने खुद जाने की बजाय अपनी पार्टी की नेता आतिशी को भेज दिया।
7. जिम्मेदारी की समझ पर खुशी
अंत में एलजी ने लिखा कि यह खुशी की बात है कि दस साल बाद ही सही, मुख्यमंत्री को दिल्ली की दुर्दशा का एहसास हुआ। उन्होंने कहा कि वह भविष्य में भी सरकार का ध्यान ऐसे मुद्दों की ओर दिलाते रहेंगे।
यह पत्र राजधानी में राजनीतिक तापमान को और बढ़ा सकता है।