महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद महाविकास अघाड़ी गठबंधन संकट के दौर से गुजर रहा है। इस हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर भी दबाव बढ़ गया है। पार्टी के भीतर एक धड़ा मानता है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन ने चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। इसी को लेकर हाल ही में हुई शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं की बैठक में कांग्रेस से अलग होने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
बीएमसी चुनाव को लेकर ‘एकला चलो’ की मांग
सूत्रों के अनुसार, शिवसेना (यूबीटी) के एक समूह ने आगामी बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का सुझाव दिया है। इस धड़े का मानना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन से पार्टी की छवि पर सवाल उठ रहे हैं और हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी कमजोर पड़ रही है। पार्टी के अंदर यह धारणा बन रही है कि कांग्रेस के साथ जुड़ने से शिवसेना (यूबीटी) को अपने परंपरागत वोटरों का समर्थन खोना पड़ा है।
पार्टी नेतृत्व पर अंतिम फैसला करने का भार
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे कार्यकर्ताओं का एक हिस्सा चाहता है कि आगामी बीएमसी चुनाव में हम अकेले मैदान में उतरें। उनका मानना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण हमें नुकसान हुआ है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में हमें गठबंधन से फायदा हुआ था। फिलहाल, इस पर चर्चा चल रही है और अंतिम निर्णय उद्धव ठाकरे ही लेंगे।”
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना (यूबीटी) नेतृत्व इस आंतरिक दबाव से कैसे निपटता है और क्या पार्टी कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने का निर्णय लेगी।