Navrashtra Bharat (67)
  • January 3, 2025
  • Raju Singh
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विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों और प्रत्यर्पण के मुद्दे पर रखी राय

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की गिरफ्तारी और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के मामलों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए लोगों को निष्पक्ष सुनवाई (फेयर ट्रायल) का अधिकार मिलना चाहिए।

अल्पसंख्यकों की गिरफ्तारी पर विदेश मंत्रालय की टिप्पणी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की गिरफ्तारी पर कहा, “बांग्लादेश में जिस प्रकार की कार्रवाई चल रही है, वहां गिरफ्तार व्यक्तियों को उचित न्याय प्रक्रिया का अवसर दिया जाना चाहिए।” उन्होंने जोर दिया कि मानवाधिकार और निष्पक्षता हर देश के न्यायिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।

चिन्मय दास की जमानत याचिका खारिज

बांग्लादेश के चटगांव में गुरुवार (2 जनवरी 2025) को एक अदालत ने सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

अभियोजन पक्ष ने दास पर राजद्रोह का गंभीर आरोप लगाया है, जिसमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। कोर्ट में अभियोजन ने तर्क दिया कि मामले की जांच अभी जारी है और जमानत देना जांच को प्रभावित कर सकता है।

दूसरी ओर, चिन्मय कृष्ण दास के वकीलों ने अदालत में यह दावा किया कि यह मामला झूठा और आधारहीन है। उनके वकील सुमन कुमार रॉय ने कहा, “जिस झंडे के अपमान का आरोप लगाया गया है, वह असल में बांग्लादेश का झंडा नहीं है, बल्कि चांद और सितारों वाला झंडा है। इसके अलावा, झंडे के अपमान की कोई धारा एफआईआर में जोड़ी नहीं गई है, और वह झंडा जब्ती सूची में भी नहीं है।”

शेख हसीना का प्रत्यर्पण मामला

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रत्यर्पण का मुद्दा भी भारत और बांग्लादेश के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले महीने बांग्लादेश सरकार ने भारत को एक राजनयिक नोट के माध्यम से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत हम शेख हसीना का प्रत्यर्पण चाहते हैं।” शेख हसीना पर बांग्लादेश में कई आपराधिक मामलों का आरोप है।

हालांकि, इस संधि में यह शर्त भी शामिल है कि यदि किसी व्यक्ति का प्रत्यर्पण राजनीतिक कारणों से मांगा जाता है, तो दूसरा देश इसके लिए बाध्य नहीं होगा। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमें शेख हसीना के प्रत्यर्पण का नोट मिला है, लेकिन इस पर कोई निर्णय लेने से पहले हमें और जानकारी प्राप्त करनी होगी।”

बांग्लादेश और भारत के रिश्तों पर असर

बांग्लादेश में हो रही घटनाओं और भारत के साथ प्रत्यर्पण की मांग ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को चर्चा में ला दिया है। जहां एक ओर भारत, बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने के पक्ष में है, वहीं दूसरी ओर शेख हसीना के प्रत्यर्पण जैसे मुद्दों ने इन संबंधों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

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