• December 23, 2024
  • Raju Singh
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“आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए, 80 साल पुरानी संस्था को चाहिए नया रूप”

संयुक्त राष्ट्र: वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सुधारों की आवश्यकता

संयुक्त राष्ट्र अगले वर्ष अपनी 80वीं वर्षगांठ मना रहा है, और इस बीच भारत ने जोर दिया है कि संगठन की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए उसमें सुधार करना जरूरी है। भारत का मानना है कि वर्तमान और भविष्य की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को समय के साथ कदमताल करना चाहिए। इस साल दुनियाभर के नेताओं ने वैश्विक शासन में सुधार और सतत विकास के लिए कुछ महत्वाकांक्षी समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जब विश्व नेता सितंबर में महासभा के 79वें सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एकत्र हुए, तो उन्होंने ऐतिहासिक ‘भविष्य की संधि’ को अपनाया, जिसमें शांति और सुरक्षा, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल सहयोग, मानवाधिकार, लैंगिक समानता, युवा मुद्दों और वैश्विक शासन में परिवर्तन जैसे विषय शामिल थे।

भारत का स्पष्ट रुख
भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में सुधार की दिशा में सक्रिय रहा है, जिसमें स्थायी और अस्थायी सदस्यता की श्रेणियों में विस्तार भी शामिल है। भारत का कहना है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद अब 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप नहीं है और यह मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति को सही ढंग से प्रतिबिंबित नहीं करती। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह परिषद में स्थायी सदस्यता का सही हकदार है।

प्रधानमंत्री मोदी का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ में अपने संबोधन के दौरान कहा था, ‘‘सुधारों के बिना प्रासंगिकता बनाए रखना मुश्किल है। वैश्विक कार्रवाई को वैश्विक महत्वाकांक्षाओं से मेल खाना चाहिए।’’ मोदी ने यह संदेश ऐसे समय में दिया, जब दुनिया विभिन्न संघर्षों से जूझ रही है, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास संघर्ष, आतंकवाद, जलवायु संकट, आर्थिक असमानता और महिलाओं के अधिकारों पर हमले। इन चुनौतियों के बीच भारत ने लगातार कूटनीति और बातचीत के जरिए समाधान तलाशने की आवश्यकता पर बल दिया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान
सितंबर में महासभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के रुख को मजबूती से प्रस्तुत किया। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं हो सकती, और पाकिस्तान को इसके परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव का बयान
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘यह एक तथ्य है कि 21वीं सदी की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक अधिक प्रभावी और समावेशी तंत्र की जरूरत है। हम पुराने तंत्र के आधार पर भविष्य की पीढ़ियों के लिए उपयुक्त समाधान नहीं बना सकते।’’ गुटेरेस ने यह भी कहा कि आज जो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, वे 1945 में संयुक्त राष्ट्र के गठन के समय की कल्पनाओं से परे थे, और इस प्रकार शांति और सुरक्षा बनाए रखने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं।

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