
इस्लामाबाद। भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिए गए कड़े फैसलों के जवाब में पाकिस्तान ने गुरुवार को एक आपातकालीन नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की बैठक बुलाई है। इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शीर्ष सिविल और सैन्य अधिकारियों के साथ मंथन किया कि भारत के निर्णयों का कैसे जवाब दिया जाए।
भारत ने बुधवार को इंदुस वॉटर ट्रीटी को निलंबित करने और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती की घोषणा की थी। इसके साथ ही भारत ने अटारी बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया और SAARC वीज़ा छूट योजना को भी रद्द कर दिया, जिससे पाकिस्तान के नागरिक अब भारत की यात्रा नहीं कर सकेंगे।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: “भारत के कदम अपरिपक्व और जल्दबाज़ी में लिए गए हैं”
पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री इशाक डार ने एक टीवी इंटरव्यू में भारत की कार्रवाई को “बिना साक्ष्य के, जल्दबाज़ी में उठाया गया और अपरिपक्व” करार दिया। उन्होंने कहा:
“भारत ने अभी तक कोई सबूत पेश नहीं किया है। उन्होंने गंभीरता से नहीं, बल्कि मीडिया हाइप के आधार पर निर्णय लिए हैं। यह एक गैर-जिम्मेदाराना रवैया है।”
नेशनल सिक्योरिटी कमेटी का एजेंडा
पाकिस्तान की NSC बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुख, विदेश मंत्री और अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में भारत के जल समझौते को निलंबित करने के फैसले को लेकर विशेष चिंता जताई गई। Radio Pakistan की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि:
- भारत का जल समझौता रद्द करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।
- भारत के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।
- पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाएगा।
राजनयिक संकट की आशंका गहराई
विश्लेषकों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब रिश्ते Pulwama और Balakot संकट के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकते हैं। इंदुस वॉटर ट्रीटी जैसे दीर्घकालिक समझौतों का निलंबन दक्षिण एशिया में जल संकट को जन्म दे सकता है, वहीं वीज़ा और कूटनीतिक प्रतिबंध दोनों देशों के नागरिकों को प्रभावित करेंगे।
भारत की रणनीति: आतंक के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस
भारत ने पहलगाम हमले के बाद स्पष्ट संदेश दिया है कि अब आतंकवाद को लेकर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लिए गए फैसलों का उद्देश्य पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करना है।