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बजट में कैंसर मरीजों की दवा को शुल्क मुक्त करने व मेडिकल सीटों में वृद्धि से होगा लाभ

नोएडा। केंद्रीय बजट से खासतौर पर कैंसर मरीजों, मेडिकल छात्रों और दवा खर्च से जूझ रहे आम नागरिकों के लिए कई राहत भरी घोषणाएं की गई हैं। सरकार का यह कदम देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करेगा और भारत को एक प्रमुख चिकित्सा गंतव्य बनाने में मदद करेगा। यह बातें फेलिक्स हॉस्पिटल के डॉ डीके गुप्ता ने कही।


उन्होंने कहा कि इस बार 50,65,345 करोड़ रुपये पेश किया गया है। इनमें सरकार ने स्वास्थ्य सेक्टर के लिए 98 हजार 311 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। जो कि कुल बजट का 1.94 प्रतिशत है। पिछले साल केंद्र सरकार ने कुल 86 हजार 582 करोड़ रूपये का प्रावधान स्वास्थ्य सेक्टर के लिए किया था। इस बार के बजट में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि स्वास्थ्य बजट को जीडीपी के 5 प्रतिशत तक बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि बढ़ती आबादी और बुजुर्गों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा किया जा सके। अभी जीडीपी का लगभग 2.5 प्रतिशत हिस्सा हेल्थकेयर पर खर्च किया जा रहा है। यह दुनिया के अधिकतर विकसित देशों के मुकाबले में काफी कम है।

बजट में बताया गया है कि भारत में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ाया जाएगा और आसानी से वीजा उपलब्ध कराया जाएगा। कैंसर जैसी बीमारी का इलाज कराना अब लोगों के लिए आसान होगा। देश के 200 जिला अस्पतालों में कैंसर डे केयर सेंटर खोले जाएंगे। कैंसर की 36 दवाईयां भी होंगी सस्ती। कई सारे मेडिकल उपकरण सस्ते होंगे। सरकार ने दवा इंटस्ट्री को प्रोत्साहन देने के लिए तकरीबन ढाई हजार करोड़ रूपये पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव) के मद में आवंटित किया है।

बजट में आयुष्मान योजना के लिए 9 हजार 406 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। जबकि आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चचर के लिए 4 हजार 200 करोड़ का आवंटन किया गया है। कई दवाईयों पर टैक्स में छूट मिलेगी, जिससे दवाईयों की कीमत कम होगी। सरकार ने चिकित्सा उपकरणों पर करों में छूट देने का निर्णय लिया है, जिससे ये अधिक किफायती होंगे। इससे मरीजों और अस्पतालों को वित्तीय राहत मिलेगी। कई जरूरी दवाइयों पर टैक्स में छूट मिलेगी। इससे दवाइयों की कीमतें कम होंगी और मरीजों को किफायती दरों पर इलाज उपलब्ध होगा। सरकार ने मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने के लिए नई परियोजनाएं शुरू करने का संकेत दिया है।

सरकार ने इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को ज्यादा व्यापक और प्रभावी बनाने पर जोर दिया है। देश के दूर-दराज के इलाकों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए सरकार टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत कर रही है। बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है। वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में ढांचागत सुधारों, कैंसर के इलाज को सुलभ बनाने और मेडिकल शिक्षा के विस्तार की दिशा में कई बड़े ऐलान किए। 2014 से अब तक सरकार ने 1.1 लाख मेडिकल स्नातक और स्नातकोत्तर सीटें बढ़ाई हैं। अब सरकार अगले साल अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में 10,000 और मेडिकल सीटें जोड़ेगी, जिससे मेडिकल छात्रों को लाभ मिलेगा और देश में डॉक्टरों की संख्या में इजाफा होगा। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

बजट में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज को सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं। देश के 200 जिला अस्पतालों में कैंसर डे-केयर सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे मरीजों को अपने ही जिले में बेहतर इलाज मिल सकेगा और उन्हें बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में काम आने वाली 36 दवाओं को शुल्क मुक्त कर दिया है, जिससे इनकी कीमतों में भारी कमी आएगी। साथ ही 6 अन्य महत्वपूर्ण दवाओं पर भी सरकार ने रियायती दरों पर छूट देने की घोषणा की है। इससे लाखों मरीजों को राहत मिलेगी।

सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भी खास कदम उठाए हैं। अब भारत में इलाज के लिए आने वाले विदेशी नागरिकों को आसान वीजा सुविधा दी जाएगी। इससे भारत में चिकित्सा क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और विदेशी मरीजों को भी कम लागत में बेहतरीन इलाज उपलब्ध होगा। यह बजट राशि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मौजूदा कार्यक्रमों को मजबूत करने और नई स्वास्थ्य पहलें लागू करने में उपयोग होगी। सरकार का फोकस विशेष रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य योजनाओं को बेहतर बनाने पर है।

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