
मेटा (Facebook और Instagram की पेरेंट कंपनी) ने अपने थर्ड पार्टी फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम को बंद करने का फैसला लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पहले, मार्क जुकरबर्ग ने यह बड़ा कदम उठाकर सभी को चौंका दिया। अब मेटा कम्यूनिटी नोट्स नामक नया प्रोग्राम शुरू करने की योजना बना रही है, जो फैक्ट चेकिंग के पारंपरिक तरीके से अलग होगा।
मेटा का नया कम्यूनिटी ड्रिवन सिस्टम
मेटा का नया कम्यूनिटी ड्रिवन सिस्टम एलन मस्क के एक्स (X) प्लेटफॉर्म के कम्यूनिटी नोट्स जैसे होगा। मेटा ने इस बदलाव को फ्री स्पीच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया है। यह सिस्टम उपयोगकर्ताओं को अपनी पसंदीदा पोस्ट को रेट करने और यह निर्धारित करने की सुविधा देगा कि कौन सी पोस्ट गुमराह करने वाली हो सकती है।
फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम बंद होने का कारण
मेटा का कहना है कि फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम में कुछ समस्याएं थीं। विशेषज्ञों के अनुसार, फैक्ट चेकर अपने पूर्वाग्रह के कारण एक पक्ष को प्राथमिकता दे सकते हैं, जो कि निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। इसके बजाय, मेटा अब कम्यूनिटी नोट्स मॉडल अपनाएगा।
मेटा की गलती स्वीकारना
मेटा ने स्वीकार किया कि उनके कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम ने बहुत सी गलतियां की थीं। इससे कई कंटेंट को सेंसर किया गया था। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि कंपनी अब अपनी पुरानी नीतियों से पीछे हटकर बेहतर और पारदर्शी तरीका अपनाएगी।
भारत में मेटा का फैक्ट चेकर प्रोग्राम
वर्तमान में, मेटा भारत में अपने सबसे बड़े फैक्ट चेकर प्रोग्राम का संचालन करती है। भारत में मेटा ने 11 स्वतंत्र और सर्टिफाइड फैक्ट चेकिंग संगठनों के साथ काम किया है। हालांकि, मेटा का कहना है कि फैक्ट चेकर प्रोग्राम केवल अमेरिका में बंद किया जा रहा है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या इसका असर भारत में भी होगा।
मेटा के इस फैसले का प्रभाव
मेटा के फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम बंद होने से भ्रामक कंटेंट फैलने का जोखिम बढ़ सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्मल यूजर्स के पास ऐसी सामग्री को पहचानने का पर्याप्त ज्ञान नहीं होता। ऐसे में ग़लत जानकारी का प्रसार तेजी से हो सकता है।