
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने की ऐतिहासिक स्पेसवॉक, अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर मरम्मत कार्य किया
नई दिल्ली: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर अपनी पहली स्पेसवॉक की। वह निक हेग के साथ बाहर निकल कर स्पेस स्टेशन पर कुछ जरूरी मरम्मत कार्यों को अंजाम दिया। सुनीता करीब सात महीने से अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर फंसी हुई हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि वह मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में धरती पर लौट सकती हैं।
सुनीता विलियम्स की पहली स्पेसवॉक
सुनीता और बुच विल्मोर ने जून 2024 में अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर कदम रखा था। दोनों को पहले कुछ दिनों बाद धरती पर लौटने की योजना थी, लेकिन एक तकनीकी खराबी के कारण वे वहां फंसे रह गए। अब सुनीता के लिए यह उनकी आठवीं स्पेसवॉक थी, जो सफलतापूर्वक पूरी हुई। इससे पहले, अंतरिक्ष यात्री सूट में पानी लीक होने के कारण स्पेसवॉक रोकी गई थी, लेकिन अब नासा ने इस समस्या को हल कर लिया है।

फंसे हुए अंतरिक्ष यात्री: मार्च या अप्रैल में लौटेंगे
सुनीता और विल्मोर को घर वापस लाने के लिए भेजे गए ‘ड्रैगन कैप्सूल’ में भी देरी हो गई। इस वजह से ये दोनों अंतरिक्ष यात्री करीब 10 महीने तक अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर रहेंगे। ड्रैगन कैप्सूल के जरिए सुनीता, विल्मोर और नासा के निक हेग, साथ ही रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के एलेक्जेंडर गोर्बूनोव मार्च या अप्रैल में वापस धरती पर लौट सकते हैं।
स्पेसवॉक के दौरान मरम्मत कार्य
स्पेसवॉक के दौरान, सुनीता और निक हेग ने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर कुछ जरूरी उपकरणों और प्रणालियों की मरम्मत की। यह कार्य अंतरिक्ष स्टेशन की सुरक्षा और कार्यक्षमता के लिए महत्वपूर्ण था। इस प्रकार की स्पेसवॉक अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होती है और इस सफलता के बाद सुनीता को उनकी साहसिकता के लिए सराहा गया है।

अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर सुनीता विलियम्स की यात्रा
सुनीता विलियम्स ने पहले भी अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर 7 स्पेसवॉक की हैं, जो उन्हें अंतरिक्ष के इतिहास में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलवाती हैं। उनका कार्य न केवल विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में योगदान है, बल्कि वह महिला अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं।