
मकर संक्रांति 2025 का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे शुभ समय की शुरुआत मानी जाती है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, दान, और तिल-चूड़ा खाने का विशेष महत्व होता है। अगर गंगा स्नान संभव न हो, तो स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें, जिससे गंगा स्नान के समान पुण्य फल प्राप्त होगा।
मकर संक्रांति 2025 का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान और दान करने से व्यक्ति के धन-धान्य और जीवन में समृद्धि आती है। इस दिन तिल, चावल, उड़द की दाल, चिड़वा, सोना, ऊनी वस्त्र, और कंबल दान करने से विशेष फल मिलता है।
मकर संक्रांति 2025 स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
इस साल मकर संक्रांति 2025 का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। शुभ मुहूर्त की जानकारी नीचे दी गई है:
- पुण्यकाल: सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक
- महापुण्यकाल: सुबह 9:03 बजे से 10:04 बजे तक
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक
- अमृत काल: सुबह 7:55 बजे से 9:29 बजे तक
पूरे दिन को स्नान और दान के लिए शुभ और अति उत्तम माना गया है।
मकर संक्रांति पर दान का महत्व
मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन निम्नलिखित चीजों का दान किया जाता है:
- तिल
- उड़द की दाल और चावल
- चिड़वा और गुड़
- सोना और चांदी
- ऊनी वस्त्र और कंबल
मकर संक्रांति के क्षेत्रीय नाम और परंपराएं
मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में अलग नामों से मनाया जाता है:
- उत्तर भारत: “खिचड़ी पर्व” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाने और दान करने की परंपरा है।
- बिहार: दही-चूड़ा खाने का प्रचलन है।
- तमिलनाडु: “पोंगल” के रूप में यह उत्सव चार दिनों तक मनाया जाता है।
- असम: “बिहू” के नाम से यह पर्व मनाया जाता है।
मकर संक्रांति 2025 पूरे भारत में धार्मिक आस्था और परंपराओं के साथ मनाई जाएगी। इस दिन का हर कार्य—चाहे वह स्नान, दान, या खिचड़ी बनाना हो—पुण्य और समृद्धि लाता है। शुभ मुहूर्त का ध्यान रखकर इस दिन के महत्व को और भी बढ़ाया जा सकता है।
अपनी मकर संक्रांति 2025 को और भी शुभ बनाएं!