
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), आम आदमी पार्टी (आप), और कांग्रेस तीनों ही प्रमुख दलों ने इसका स्वागत करते हुए अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। पिछले कई महीनों से ये पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुटी हुई थीं। अब समय आ गया है कि ये दल अपनी रणनीतियों को धरातल पर उतारें। दिल्ली के चुनावी मैदान में मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों दलों के बीच होगा।
इन पार्टियों के पास अपनी-अपनी मजबूती और विशेषताएं हैं, जो इन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। हालांकि, इनके सामने कई चुनौतियां भी हैं, जिनसे पार पाना इनके लिए जरूरी होगा।
आम आदमी पार्टी (आप)
मजबूत पक्ष:
- सरकार की उपलब्धियां: मुफ्त बिजली, पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाएं और “महिला सम्मान योजना” व “संजीवनी योजना” जैसे लोकलुभावन कार्यक्रम।
- लोकप्रिय नेता: अरविंद केजरीवाल जैसे लोकप्रिय नेता और नई गारंटियों की घोषणा।
- संगठन: नगर निगम चुनाव की जीत के बाद वार्ड स्तर पर कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम।
- वोटबैंक: झुग्गी बस्तियों, अनाधिकृत कॉलोनियों और मुस्लिम समुदाय में मजबूत पकड़। महिलाओं के बीच भी लोकप्रियता।
कमजोर पक्ष:
- भ्रष्टाचार के आरोप: सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप और मुख्यमंत्री आवास विवाद।
- जनता की नाराजगी: 10 वर्षों के शासन के कारण विधायकों और सरकार के प्रति नाराजगी।
- पार्टी में असंतोष: टिकट कटने और पार्टी छोड़ने वाले नेताओं से भीतरघात का डर।
- समस्याओं पर घेराव: वायु प्रदूषण, दूषित जल और यमुना की सफाई को लेकर विपक्ष के सवाल।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
मजबूत पक्ष:
- संगठन: पार्टी का मजबूत बूथ स्तर तक का संगठन और “त्रिदेव” कार्यकर्ताओं की टीम।
- रणनीति: बूथ प्रबंधन और झुग्गी बस्तियों व अनुसूचित जाति समुदायों के बीच जनसंपर्क अभियान।
- मोदी सरकार की योजनाएं: केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार।
- नए प्रोजेक्ट: दिल्ली में 17,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन।
कमजोर पक्ष:
- लोकप्रिय नेता की कमी: अरविंद केजरीवाल जैसा कोई चेहरा नहीं।
- लंबे समय से सत्ता से दूर: पिछले 26 वर्षों से विधानसभा की सत्ता में नहीं।
- टिकट बंटवारा: प्रत्याशियों की घोषणा में देरी और गुटबाजी का डर।
- कम प्रचार: आप की तुलना में भाजपा का चुनाव प्रचार कमजोर।
कांग्रेस
मजबूत पक्ष:
- चुनावी अनुभव: लंबे समय तक सत्ता में रहने का अनुभव।
- संगठन: ब्लॉक स्तर तक मजबूत पदाधिकारी।
- विकास कार्य: शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल के आधार पर प्रचार।
- लोकलुभावन वादे: महिलाओं को 2,500 रुपये और 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा।
कमजोर पक्ष:
- लोकप्रिय चेहरा नहीं: जनता को जोड़ने के लिए कोई प्रमुख नेता नहीं।
- वोटबैंक में गिरावट: झुग्गी बस्तियों और अनाधिकृत कॉलोनियों में पकड़ कमजोर।
- पिछले प्रदर्शन: लगातार दो चुनावों में एक भी सीट न जीत पाने से कार्यकर्ताओं में निराशा।
- असंतोष: टिकट वितरण में पुराने नेताओं की अनदेखी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में तीनों पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। जहां आम आदमी पार्टी अपनी नीतियों और लोकप्रिय योजनाओं पर भरोसा कर रही है, वहीं भाजपा अपने संगठन और केंद्र सरकार की योजनाओं के दम पर मैदान में उतरी है। कांग्रेस अपने पुराने कार्यकाल और नई घोषणाओं के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। अब देखना यह है कि दिल्ली की जनता किसे अपना समर्थन देती है।