विश्वविख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की अफवाह रविवार रात सुर्खियों में रही। खबरें थीं कि वे सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती थे और वहीं उनका निधन हो गया। हालांकि, इस बात को उनके परिवार और करीबियों ने गलत बताया।
संगीतकार जोड़ी सलीम-सुलेमान के सलीम मर्चेंट ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि उस्ताद की तबीयत गंभीर जरूर है, लेकिन उनके निधन की खबरें झूठी हैं। उन्होंने बताया कि उस्ताद का परिवार अमेरिका में है और उनसे कोई ऐसी जानकारी साझा नहीं की गई है।
वहीं, उस्ताद जाकिर हुसैन के भांजे अमीर औलिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया कि उनके निधन की खबरें भ्रामक हैं। उन्होंने लोगों से ऐसी अफवाहें न फैलाने और उस्ताद के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करने का अनुरोध किया। हालांकि, यह अकाउंट वेरिफाइड नहीं है।
जाकिर हुसैन का जीवन परिचय
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ। उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा और मां बीवी बेगम थीं। जाकिर ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से ली, जो स्वयं भी एक प्रख्यात तबला वादक थे। उनकी स्कूली शिक्षा मुंबई के सेंट माइकल स्कूल में हुई, और उन्होंने ग्रेजुएशन सेंट जेवियर्स कॉलेज से पूरा किया।
शुरुआती करियर
महज 11 साल की उम्र में जाकिर ने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया। 1973 में उनका पहला एल्बम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड रिलीज हुआ। बचपन से ही वे किसी भी सपाट सतह पर धुन बजाने लगते थे, चाहे वह रसोई के बर्तन ही क्यों न हों।
संघर्ष और सफलता
जाकिर हुसैन ने अपने संघर्ष के दिनों में ट्रेन के जनरल कोच में सफर किया। पैसे की कमी के चलते वे अक्सर फर्श पर अखबार बिछाकर सोते थे और तबले को गोद में रखते थे ताकि उस पर किसी का पैर न पड़े। एक बार 12 साल की उम्र में, उन्होंने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में परफॉर्म किया और इसके लिए उन्हें 5 रुपए मिले। उन्होंने इसे अपनी जिंदगी की सबसे कीमती कमाई बताया।
सम्मान और उपलब्धियां
जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे चार ग्रैमी अवॉर्ड्स भी जीत चुके हैं। 2016 में, उन्हें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में आयोजित ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में आमंत्रित किया।
अभिनय में कदम
जाकिर हुसैन ने 1983 में ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से अभिनय की शुरुआत की, जिसमें शशि कपूर ने भी भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, उन्होंने 1998 की फिल्म साज में शबाना आजमी के साथ अभिनय किया।
संगीत पर पिता का जोर
फिल्म मुगल-ए-आजम में सलीम के छोटे भाई का रोल जाकिर हुसैन को ऑफर हुआ था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें अभिनय से दूर रखकर संगीत पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
उस्ताद जाकिर हुसैन की उपलब्धियां और उनका योगदान उन्हें भारतीय संगीत का गौरव बनाता है।