दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में पूर्वांचली वोटर्स का रुझान AAP और BJP दोनों के लिए निर्णायक साबित होगा। जहां AAP अपने पुराने समर्थन को बरकरार रखने की कोशिश में है, वहीं BJP इसे अपने पक्ष में करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 में यह विशाल वोट बैंक किसके साथ जाता है और कौन सी पार्टी दिल्ली के सत्ता के सिंहासन पर काबिज होती है।
दिल्ली चुनाव में पूर्वांचल वोट बैंक का महत्व
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Assembly Elections 2025) का सियासी पारा हर दिन नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। 5 फरवरी को होने वाले मतदान के साथ, दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। राजधानी की तकरीबन 25% आबादी पूर्वांचल के लोगों की है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से ताल्लुक रखते हैं। इनकी मजबूत पकड़ 20 विधानसभा सीटों पर है, जो दिल्ली की 70 सीटों में हार-जीत का फैसला करती हैं।
पूर्वांचली वोटर्स और उनका दिल्ली चुनाव में महत्व
दिल्ली में 20 सीटें ऐसी हैं जहां पूर्वांचली वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2015 और 2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) ने इन वोटर्स का समर्थन हासिल किया और शानदार जीत दर्ज की। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनावों में यह वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर शिफ्ट होता नजर आया। ऐसे में 2025 के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पूर्वांचली मतदाता AAP के साथ रहेंगे या BJP के साथ नई कहानी लिखेंगे।
पिछले चुनावों में पूर्वांचली वोटर्स का रुझान
2013 का चुनाव:
- 8 सीटों पर AAP ने जीत दर्ज की।
- 11 सीटें BJP के खाते में गईं।
- कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली।
2015 का चुनाव:
- पूर्वांचली बहुल सभी 20 सीटों पर AAP ने जीत दर्ज की।
- BJP और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला।
2020 का चुनाव:
- AAP ने 20 में से 17 सीटें जीतीं।
- BJP ने 3 सीटों पर कब्जा किया।
- कांग्रेस का प्रदर्शन फिर शून्य रहा।
2024 का लोकसभा चुनाव:
- पूर्वांचली वोटर्स ने BJP को 18 विधानसभा क्षेत्रों में समर्थन दिया।
- AAP और कांग्रेस केवल 1-1 सीटों पर आगे रहीं।
पूर्वांचली विधायकों की संख्या में बदलाव
2015 के चुनाव में दिल्ली विधानसभा में 12 पूर्वांचली विधायक पहुंचे थे। 2020 में यह संख्या घटकर 9 रह गई। इस बार AAP और BJP दोनों ही इस वोट बैंक को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। कांग्रेस इस लड़ाई में काफी पीछे नजर आ रही है।
AAP और BJP की रणनीति
- AAP: आम आदमी पार्टी ने 2015 में 12 पूर्वांचली कैंडिडेट उतारे, जिनमें सभी ने जीत दर्ज की। 2020 में 10 में से 9 उम्मीदवारों को जीत मिली। 2025 के लिए भी AAP ने 10 पूर्वांचली उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
- BJP: भारतीय जनता पार्टी, 2024 के लोकसभा चुनाव में मिले समर्थन के बाद, इस बार पूर्वांचली वोटर्स को लुभाने के लिए आक्रामक रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी के नेता दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की भावनाओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं।
दिल्ली की प्रमुख सीटों पर सियासी गणित
- पटपड़गंज: AAP के अवध ओझा बनाम BJP के रवींद्र सिंह नेगी।
- सीमापुरी: AAP के वीर सिंह धिंगान बनाम BJP की कुमारी रिंकू।
- बुराड़ी: AAP के संजीव झा, कांग्रेस के मंगेश त्यागी।
- मॉडल टाउन: AAP के अखिलेश पति त्रिपाठी बनाम BJP के अशोक गोयल।
- बदरपुर: AAP के राम सिंह नेताजी बनाम BJP के नारायण दत्त शर्मा।
- द्वारका: AAP के विनय मिश्रा, कांग्रेस के आदर्श शास्त्री।
पूर्वांचल के बढ़ते प्रभाव के पीछे की वजह
- रोजी-रोटी की तलाश में आए पूर्वांचली अब दिल्ली की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
- BJP के मनोज तिवारी, AAP के गोपाल राय जैसे नेताओं ने पूर्वांचलियों को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है।
- 2014, 2019 और 2024 में BJP ने मनोज तिवारी के जरिए पूर्वांचल वोट बैंक को साधा।
- 1993 से लेकर 2020 तक पूर्वांचली विधायकों और सांसदों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है।