
कैलाश मानसरोवर यात्रा को चीन ने दी मंजूरी, 2020 के बाद पहली बार श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन
भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अनुमति दे दी है, जो कि 2020 से स्थगित थी। इस फैसले के बाद हिंदू श्रद्धालु भगवान शिव के पवित्र धाम कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शन कर सकेंगे। यात्रा के लिए अब तक जून से सितंबर के बीच का समय निर्धारित किया गया है, लेकिन आधिकारिक तारीखों की घोषणा अभी बाकी है।

कैलाश मानसरोवर: आस्था और आध्यात्म का केंद्र
हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का विशेष स्थान है। मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है, और मानसरोवर झील उनके चरणों का प्रतीक मानी जाती है।
कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कैलाश पर्वत का वर्णन मोक्ष के द्वार के रूप में किया गया है। हिंदू ही नहीं, बल्कि जैन, बौद्ध और तिब्बती बोन धर्मों में भी इस स्थान का विशेष महत्व है। इस कारण, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे थे।
अब, चीन की मंजूरी के बाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 से फिर से शुरू होगी।

यात्रा के लिए पासपोर्ट और वीजा अनिवार्य
कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है, जो कि चीन के नियंत्रण में आता है। इसलिए, भारत से जाने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा के लिए चीनी सरकार की विशेष अनुमति, पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता होती है।
यात्रा बिना वीजा और अनुमति के संभव नहीं है। इसके अलावा, सभी यात्रियों को भारतीय विदेश मंत्रालय और चीन के दूतावास से भी अनुमति लेनी होती है।
यात्रा की प्रक्रिया में क्या आवश्यक है?
पासपोर्ट (कम से कम 6 महीने की वैधता)
चीन का वीजा
भारतीय विदेश मंत्रालय की अनुमति
एड्रेस प्रूफ
पासपोर्ट साइज फोटो
मेडिकल सर्टिफिकेट

कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग (Routes to Kailash Mansarovar)
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भारत से तीन प्रमुख मार्ग उपलब्ध हैं। इनमें से हर मार्ग की अपनी कठिनाइयाँ और विशेषताएँ हैं।
लिपुलेख पास (उत्तराखंड) के रास्ते से यात्रा
यह सबसे छोटा मार्ग है और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर जाता है।
कैलाश पर्वत की दूरी: 65 किलोमीटर
यात्रा में लगने वाला समय: 24 दिन
यात्रा से पहले दिल्ली में 3 दिन की ट्रेनिंग अनिवार्य
यात्रा का कुल खर्च: ₹1.80 लाख
लिपुलेख मार्ग की विशेषताएँ: सबसे कम दूरी में यात्रा पूरी की जा सकती है।
इस मार्ग से जाने वाले श्रद्धालुओं को कठिन ट्रेकिंग करनी होती है।
समुद्र तल से 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मार्ग बेहद चुनौतीपूर्ण है।

नाथूला पास (सिक्किम) के रास्ते से यात्रा
यह मार्ग सिक्किम के नाथूला दर्रे से होकर गुजरता है।
कुल यात्रा की दूरी: 802 किलोमीटर
यात्रा में लगने वाला समय: 21 दिन
दिल्ली में 3 दिन की ट्रेनिंग अनिवार्य
यात्रा का कुल खर्च: ₹2.5 लाख
नाथूला मार्ग की विशेषताएँ: यह मार्ग कम ट्रेकिंग और अधिक सड़क यात्रा वाला है, जिससे बुजुर्ग यात्री भी यात्रा कर सकते हैं।
यह मार्ग तिब्बत में आसानी से प्रवेश करने का सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है।
मौसम की अनिश्चितता इस मार्ग की सबसे बड़ी चुनौती है।

नेपाल के रास्ते यात्रा (काठमांडू से होकर)
यह यात्रा नेपाल के काठमांडू से हेलीकॉप्टर या सड़क मार्ग से की जा सकती है।
यात्रा में लगने वाला समय: 14-16 दिन
यात्रा का कुल खर्च: ₹3-4 लाख (हेलीकॉप्टर से यात्रा महंगी होती है)
नेपाल मार्ग की विशेषताएँ: नेपाल का यह मार्ग सबसे आसान और कम समय लेने वाला विकल्प है।
हेलीकॉप्टर से जाने वालों के लिए यात्रा कम थकाने वाली होती है।
इस मार्ग पर मौसम की स्थिति बदलने से यात्रा रद्द होने की संभावना बनी रहती है।

स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए अनिवार्य नियम
कैलाश मानसरोवर यात्रा अत्यधिक ऊंचाई (18,000 फीट तक) पर होती है, जहां ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसलिए, शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहना बहुत जरूरी है।
यात्रा से पहले मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना अनिवार्य है। यदि किसी यात्री की सेहत खराब होती है, तो उसे यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती।
क्या-क्या मेडिकल टेस्ट जरूरी हैं?
ब्लड प्रेशर टेस्ट
हार्ट चेकअप
फेफड़ों की जांच
डायबिटीज़ और अन्य बीमारियों की जांच
किन लोगों को यात्रा नहीं करनी चाहिए?
60 साल से ऊपर के बुजुर्ग
हृदय रोगी और अस्थमा के मरीज
हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग
गर्भवती महिलाएं
यात्रा के लिए आवेदन कैसे करें?
भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट (https://www.kmy.gov.in) पर जाकर आवेदन करें।
पासपोर्ट, मेडिकल सर्टिफिकेट और अन्य जरूरी दस्तावेज अपलोड करें।
भारतीय विदेश मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार करें।
मंजूरी मिलने के बाद, यात्रा की तारीख तय की जाएगी।
क्या आप इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं? कमेंट में जरूर बताएं!