
अमृतसर: बुधवार को शिरोमणि अकाली दल (SAD) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर एक व्यक्ति ने गोली चलाने का प्रयास किया।
घटना उस समय हुई जब बादल और अन्य अकाली दल के नेता 2 दिसंबर को अकाल तख्त द्वारा सुनाई गई ‘तनखाह’ (धार्मिक सजा) के तहत ‘सेवादार’ के रूप में सेवा कर रहे थे।
बादल, जो व्हीलचेयर पर बैठे सेवा कर रहे थे, बाल-बाल बच गए क्योंकि गोली पास की दीवार से टकरा गई।
आरोपी, जिसकी पहचान नरैन सिंह के रूप में हुई है, को मंदिर के बाहर मौजूद लोगों ने काबू में लेकर पुलिस के हवाले कर दिया।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर हमला करते हुए इसे राज्य को अशांति में धकेलने की साजिश करार दिया।
चीमा ने कहा, “यह पंजाब को फिर से आग में झोंकने की बड़ी साजिश है… एक व्यक्ति, सुखबीर सिंह बादल, जो मंदिर के प्रवेश द्वार पर सेवादार के रूप में सेवा कर रहे थे, उन पर गोली चलाई गई। मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उनकी जान बच गई। मैं मुख्यमंत्री भगवंत मान से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने राज्य का क्या हाल कर दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस घटना की उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए। हम अपनी सेवा जारी रखेंगे।”
गौरतलब है कि सोमवार को अकाल तख्त ने एसएडी प्रमुख सुखबीर बादल, वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा और पंजाब के पूर्व मंत्री व सुखबीर के साले बिक्रम सिंह मजीठिया पर ‘तनखाह’ सुनाई थी।
2007 से 2017 तक पंजाब में अकाली दल की सरकार के दौरान हुई गलतियों के लिए इन नेताओं को अकाल तख्त द्वारा ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार के दोषी) करार दिया गया था।
सिख धर्मगुरुओं ने सुखबीर और अन्य नेताओं को ‘सेवादार’ के रूप में सेवा देने, बर्तन धोने, जूते साफ करने और स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने का निर्देश दिया था।
सुखबीर बादल ने नीले वस्त्र पहनकर अपनी स्थिति को ‘सेवादार’ के रूप में प्रदर्शित किया और गले में अपनी ‘गलतियों’ को स्वीकारने वाला पट्टा पहना। उन्होंने अपने एक हाथ में भाला पकड़ा और व्हीलचेयर पर बैठे थे क्योंकि हाल ही में उनके पैर में चोट लगी थी।
सुखदेव सिंह को भी यही सजा दी गई थी। वृद्धावस्था के कारण वे भी व्हीलचेयर पर थे। दोनों स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार के पास सेवादार के रूप में एक घंटे तक सेवा करते रहे।